Friday, December 20, 2019

नागरिकता क़ानून: कर्नाटक में विरोध-प्रदर्शन के दौरान चली गोली

नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर मेंगलुरु में कर्नाटक पुलिस को गुरुवार को उस वक़्त गोली चलानी पड़ी जब एक उग्र भीड़ ने कथित तौर पर पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया.

हालांकि इस घटना और बेंगलुरु में जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 250 लोगों की गिरफ़्तारी को छोड़ दें तो राज्य में विरोध-प्रदर्शन लगभग शांतिपूर्ण रहे.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शांति की अपील तो की लेकिन उनके गृह मंत्री बासवराज बोम्मई ने कथित तौर पर कहा, "मेंगलुरु हिंसा के पीछे एक बहुत बड़ी साज़िश है. पड़ोसी राज्य केरल से कुछ लोगों ने शहर में दाखिल होकर लोगों को हिंसा के लिए उकसाया."

हालांकि बेंगलुरु और कर्नाटक के दूसरे शहरों में सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया. येदियुरप्पा के एक बयान के बाद पुलिस ने भी थोड़ी नरमी दिखाई.

जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा की गिरफ़्तारी के वीडियो के वायरल होने के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि पुलिस को शरारती तत्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए न कि आम लोगों के ख़िलाफ़.

हिरासत में लिए जाते वक़्त रामचंद्र गुहा एक रिपोर्टर से महात्मा गांधी की प्रासंगिकता पर बात कर रहे थे. लेकिन एक पुलिसवाले ने उन्हें धक्का देकर थाने जाने वाली बस में बिठा दिया.

बीबीसी से बातचीत में वो केवल इतना ही कह पाए कि पुलिस वैन में मुझे कहीं ले जाया जा रहा है."

हिरासत में लिए जाने के चार घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. उनके साथ बाक़ी क़रीब 250 लोग भी छोड़ दिए गए.

इसका एक आश्चर्यजनक पहलू ये भी रहा कि टाउन हॉल के बाहर प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने की छूट दी गई.

गुहा के हिरासत में लिए जाने के बाद येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से कहा, "क़ानून व्यवस्था में खलल डाल रहे शरारती तत्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए और आम लोगों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. अगर ऐसा कहीं होता है तो ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी."

इस बयान के बाद ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिए जाने का काम रोक दिया और उन्हें प्रदर्शनकारियों को टाउन हॉल की दूसरी तरफ़ इकट्ठा होने की छूट दे दी.

हालांकि बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को जब वहां से हटने के लिए कहा तो वे अड़ गए कि जब तक गिरफ़्तार लोगों को रिहा नहीं किया जाएगा, वे नहीं हटेंगे.

बाद में कुछ वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील के बाद प्रदर्शनकारी भीड़ वहां हट गए.

सुबह 11 बजे शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन तकरीबन छह घंटे तक पूरे ज़ोर-शोर से चला.

एक वकील ने प्रेस से कहा, "सात पुलिस थानों में से पाँच से हिरासत में लिए गए लोग रिहा किए जा रहे हैं. दूसरे थानों में भी ये प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी."

टाउन हॉल के पास से प्रदर्शनकारियों को हटने में घंटे भर लगे.

लेकिन मेंगलुरु और गुलबर्गा जैसी तटीय शहरों में विरोध प्रदर्शन उतने शांतिपूर्ण नहीं रहे.

मेंगलुरु में प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया गया. गुलबर्गा में भी निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर रहे प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया.

सामाजिक कार्यकर्ता लियो सलदानहा ने बीबीसी से कहा कि राज्य में पिछले दो तीन दिनों में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे हैं और निषेधाज्ञा की कोई ज़रूरत नहीं थी.

नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर मेंगलुरु में कर्नाटक पुलिस को गुरुवार को उस वक़्त गोली चलानी पड़ी जब एक उग्र भीड़ ने कथित तौर पर पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया.

हालांकि इस घटना और बेंगलुरु में जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 250 लोगों की गिरफ़्तारी को छोड़ दें तो राज्य में विरोध-प्रदर्शन लगभग शांतिपूर्ण रहे.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शांति की अपील तो की लेकिन उनके गृह मंत्री बासवराज बोम्मई ने कथित तौर पर कहा, "मेंगलुरु हिंसा के पीछे एक बहुत बड़ी साज़िश है. पड़ोसी राज्य केरल से कुछ लोगों ने शहर में दाखिल होकर लोगों को हिंसा के लिए उकसाया."

हालांकि बेंगलुरु और कर्नाटक के दूसरे शहरों में सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया. येदियुरप्पा के एक बयान के बाद पुलिस ने भी थोड़ी नरमी दिखाई.

जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा की गिरफ़्तारी के वीडियो के वायरल होने के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि पुलिस को शरारती तत्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए न कि आम लोगों के ख़िलाफ़.

हिरासत में लिए जाते वक़्त रामचंद्र गुहा एक रिपोर्टर से महात्मा गांधी की प्रासंगिकता पर बात कर रहे थे. लेकिन एक पुलिसवाले ने उन्हें धक्का देकर थाने जाने वाली बस में बिठा दिया.

बीबीसी से बातचीत में वो केवल इतना ही कह पाए कि पुलिस वैन में मुझे कहीं ले जाया जा रहा है."

हिरासत में लिए जाने के चार घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. उनके साथ बाक़ी क़रीब 250 लोग भी छोड़ दिए गए.

इसका एक आश्चर्यजनक पहलू ये भी रहा कि टाउन हॉल के बाहर प्रदर्शनकारियों को इकट्ठा होने की छूट दी गई.

गुहा के हिरासत में लिए जाने के बाद येदियुरप्पा ने संवाददाताओं से कहा, "क़ानून व्यवस्था में खलल डाल रहे शरारती तत्वों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए और आम लोगों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. अगर ऐसा कहीं होता है तो ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी."

इस बयान के बाद ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिए जाने का काम रोक दिया और उन्हें प्रदर्शनकारियों को टाउन हॉल की दूसरी तरफ़ इकट्ठा होने की छूट दे दी.

हालांकि बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को जब वहां से हटने के लिए कहा तो वे अड़ गए कि जब तक गिरफ़्तार लोगों को रिहा नहीं किया जाएगा, वे नहीं हटेंगे.

बाद में कुछ वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील के बाद प्रदर्शनकारी भीड़ वहां हट गए.

सुबह 11 बजे शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन तकरीबन छह घंटे तक पूरे ज़ोर-शोर से चला.

एक वकील ने प्रेस से कहा, "सात पुलिस थानों में से पाँच से हिरासत में लिए गए लोग रिहा किए जा रहे हैं. दूसरे थानों में भी ये प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी."

टाउन हॉल के पास से प्रदर्शनकारियों को हटने में घंटे भर लगे.

लेकिन मेंगलुरु और गुलबर्गा जैसी तटीय शहरों में विरोध प्रदर्शन उतने शांतिपूर्ण नहीं रहे.

मेंगलुरु में प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया गया. गुलबर्गा में भी निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर रहे प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया.

सामाजिक कार्यकर्ता लियो सलदानहा ने बीबीसी से कहा कि राज्य में पिछले दो तीन दिनों में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे हैं और निषेधाज्ञा की कोई ज़रूरत नहीं थी.

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